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नेवले पर क्यों नहीं चढ़ता सांप का जहर?

कभी आपने सोचा है कि नेवला इतनी आसानी से सांप से लड़ क्यों जाता है? सांप का जहर तो इतना खतरनाक होता है कि इंसान तक की जान ले लेता है। फिर नेवला कैसे बच जाता है? क्या है इसके पीछे का रहस्य? आइए जानते हैं इस रोचक सवाल का जवाब।


कोबरा जैसा खतरनाक सांप अगर हाथी-घोड़े जैसे बड़े से बड़े जीवों को भी काट ले तो उनका बचना मुश्किल होता है. लेकिन सोचने की बात ये है कि सांपों का दुश्मन नंबर 1 नेवला उस जहर से कैसे बच जाता है? कभी सोचा है? आइए आज हम आपको बताते हैं.


दुनियाभर में यूं तो सांपों की कई प्रजातियां मौजूद हैं, लेकिन उनमें से जहरीले बहुत कम ही होते हैं. इसके बावजूद अगर कोई सांप आंखों के सामने आ जाता है, तो डर से हालत खराब हो जाती है. उस दौरान कुछ समझ ही नहीं आता है कि क्या किया जाए. ऐसा लगता है कि जान ही चली जाएगी. ऐसे में कोबरा जैसा सांप सामने हो तो इंसान सरेंडर ही कर देता है. लेकिन कभी सोचा है कि सांपों का दुश्मन नंबर एक नेवला इनके जहर से कैसे बच जाता है? सोशल मीडिया पर अक्सर सांप और नेवले की लड़ाई का वीडियो वायरल होता रहता है. उस वीडियो में सांप अक्सर नेवले पर अटैक करने की कोशिश करता है, लेकिन अक्सर जीत नेवले की ही होती है. आखिर क्यों सांप का जहर नेवले पर बेअसर हो जाता है?


लेकिन सांप और नेवले के बीच लड़ाई की वजह क्या है? क्यों इन दोनों के बीच इतनी गहरी दुश्मनी है? वाइल्डलाइफ से जुड़े रिपोर्ट्स के मुताबिक, सांप और नेवले की दुश्मनी की वजह प्राकृतिक है. दरअसल, नेवलों का मुख्य भोजन सांप होते हैं. ये सांपों का शिकार करके उन्हें खाते हैं. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, नेवले अधिकतर पहले हमला नहीं करते, वो पहले सांप के हमले से खुद को या अपने बच्चों को बचाने की कोशिश करते हैं. इस चक्कर में ही दोनों आमने-सामने आ जाते हैं. बता दें कि भारतीय नेवले को सबसे खतरनाक स्नेक किलर, यानी सांपों का दुश्मन माना जाता है. ये किंग कोबरा तक को मारने में सक्षम होते हैं. एक अन्य वजह यह भी है कि सांप और नेवले दोनों को अपने क्षेत्र में दखलअंदाजी पसंद नहीं है. ऐसे में ये दोनों जीव एक-दूसरे के क्षेत्र में घुस जाते हैं, तो लड़ाई शुरू हो जाती है.



सांप के जहर से कैसे बचता है नेवला?

नेवला और सांप की दुश्मनी तो काफी पुरानी है। अक्सर आपने देखा या सुना होगा कि नेवला, सांप से लड़ाई करता है और जीत भी जाता है। सांप का जहर इतना घातक होता है कि बड़े जानवर भी इसकी चपेट में आकर मर जाते हैं, लेकिन नेवले पर इसका कोई खास असर क्यों नहीं होता? दरअसल, नेवले के शरीर में एक खास तरह का प्रोटीन होता है, जिसे एसिटाइलकोलिन (nicotinic acetylcholine receptor) कहते हैं। ये प्रोटीन सांप के जहर के न्यूरोटॉक्सिक असर को कम कर देता है, जिससे नेवला जहर के बावजूद जीवित रह पाता है। इसे सांप के जहर से “इम्यून” कहा जा सकता है। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि नेवला हर बार जीत ही जाता है। कई बार सांप भी नेवले पर भारी पड़ जाता है, खासकर तब जब नेवला कमजोर हो या सांप ज्यादा ताकतवर हो।


दरअसल, नेवले के शरीर में एक खास तरह का प्रोटीन होता है, जिसे एसिटाइलकोलिन (nicotinic acetylcholine receptor) कहते हैं। ये प्रोटीन सांप के जहर के न्यूरोटॉक्सिक असर को कम कर देता है, जिससे नेवला जहर के बावजूद जीवित रह पाता है। इसे सांप के जहर से “इम्यून” कहा जा सकता है। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि नेवला हर बार जीत ही जाता है। कई बार सांप भी नेवले पर भारी पड़ जाता है, खासकर तब जब नेवला कमजोर हो या सांप ज्यादा ताकतवर हो।

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