पुराने जमाने में जब GPS जैसी तकनीक नहीं थी, तब लोग मील के पत्थरों के आधार पर यात्रा करते थे. प्राचीन समय में मील के पत्थरों का उपयोग पुराने समय में जब हमारे पास सेल फोन या जीपीएस जैसी तकनीक नहीं थी, तब लोग मील के पत्थरों के आधार पर यात्रा करते थे. ये पत्थर न केवल दूरी बताते थे, बल्कि यह भी जानकारी देते थे कि अगला शहर कौन सा है, वह कितनी दूर है और आप किस सड़क पर यात्रा कर रहे हैं. मील के पत्थरों के रंग और उनके अर्थ भारत में मील के पत्थर मुख्यतः चार रंगों में होते हैं. भारत सरकार चार प्रकार की सड़कों का रखरखाव करती है. 1.नारंगी मील का पत्थर: पंचायत सड़कें नारंगी और सफेद रंग का मील का पत्थर ग्रामीण सड़कों को दर्शाता है. ये सड़कें गांवों को मुख्य शहरों और अन्य महत्वपूर्ण सड़कों से जोड़ती हैं. इनका रखरखाव जिले की पंचायतों द्वारा किया जाता है. इस रंग का माइल स्टोन और मिल का पत्थर अगर आपको दिखाई दे तो समझ लीजिए कि आप किसी गांव-देहात की सड़क पर हैं। आपको बता दें कि ये सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनी होती है और इस सड़क की ज़िम्मेदारी जिले के पास होती है। आप...
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